पद्मश्री शारदा सिन्हा ने भोजपुरी में जिस विरासत को खड़ा किया है, उस विरासत को लोकगायिका देवी ने काफी हद तक संभालने की कोशिश की है। जहां एक ओर अश्लील और द्विअर्थी गानों का बोलबाला है, वहीं देवी ने सफल होने के लिए इन चीजों से दूरी बनाई और सुगम लोकसंगीत के जरिए अपनी अलग पहचान कायम की। मूल रूप से बिहार के छपरा जिले की रहने वाली देवी ने खुद के संघर्षों के बल पर अपना मुकाम स्थापित किया देश-विदेश में हजारों स्टेज शो कर चुकी देवी ने कभी भी अपनी पारंपरिक शैली को नहीं छोड़ा. सफलता के साथ ही साथ विवादों से भी देवी का नाता रहा है. हाल ही में अपने ब्रजिलियन मित्र के साथ शादी करने की इच्छा जताने वाली देवी को लेकर सोशल मीडिया पर शरारती तत्वों ने अफवाह उड़ा दी उनका पर मित्र मुस्लिम है बाद में देवी ने सफाई देते हुए कहा कि यह उनका निजी मामला है और कुछ लोग उनकी छवि को खराब करना चाहते हैं. हाल ही में सहरसा में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम में देवी को मंच पर गाने से रोक दिया गया वहीं पटना के ऊलार सूर्य मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में पब्लिसिटी के बावजूद देवी कारण जुटने वाली भीड़ को संभालने में असमर्थता जताते हुए जिला प्रशासन ने अंतिम समय मे उनका कार्यक्रम को रद्द कर दिया. भोजपुरी में पारंपरिक और विरासत वाले गानों को अपने स्वर में सजाने वाली देवी के प्रशंसकों की तादाद करोड़ों में है. भोजपुरी की प्रतिनिधि गायिका को पद्म पुरस्कार देने की मांग को लेकर सारण हेल्पलाइन इस वर्ष हस्ताक्षर अभियान भी चला रहा है. सफलता के सोपान पर पहुंचने के बाद भी अपनी सहजता व सुलभता के कारण देवी सदाबहार गायिका के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में सफल हुई है।
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